स्वतंत्रता दिवस पर भाषण
भाषण #1
आदरणीय प्राचार्य जी, शिक्षकगण और मेरे प्यारे साथियों।
आज 15 अगस्त, स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर हम सभी यहाँ पर इकट्ठा हुए हैं और मुझे आप सभी के समक्ष स्वतंत्रता दिवस के इस शुभ अवसर पर अपने विचार रखने का मौका मिला है, यह मेरा सौभाग्य है। सबसे पहले आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ। क्या आप जानते हैं इस वर्ष भारत का कौन-सा स्वतंत्रता दिवस मनाया जा रहा है? इस वर्ष भारत का 78वाँ स्वतंत्रता दिवस मनाया जा रहा है। आज मैं स्वतंत्रता दिवस पर अपने कुछ विचार आपके सामने रखने जा रही हूँ।शुरुआत करते हैं कुछ लाइनों से –
जब आँखें खुलें तो धरती हिंदुस्तान की हो,
जब आँखें बंद हो तो यादें हिंदुस्तान की हों,
हम मर भी जाएँ तो कोई गम नहीं….
मरते वक्त मिट्टी हिंदुस्तान की हो।
हमारा भारत देश 200 वर्षों तक ब्रिटिश शासन के अधीन रहा। देश को आज़ाद कराने के लिए हमारे देश के बहुत से स्वतंत्रता सेनानियों जैसे बाल गंगाधर तिलक, लोकमान्य तिलक, पंडित जवाहरलाल नेहरू, महात्मा गांधी, लाला लाजपत राय, खुदीराम बोस, सुभाष चंद्र बोस और मंगल पांडे आदि ने बलिदान दिए और अत्याचार सहते हुए भी वे देश को आज़ादी दिलाने के लिए सदैव तत्पर रहें। वर्ष 1857-1947 तक स्वतंत्रता संग्राम लड़ने के बाद और काफी अत्याचार सहने के बाद 15 अगस्त वर्ष 1947 को हमारा भारत देश ब्रिटिश शासन की बेड़ियों से मुक्त हुआ और सभी भारतवासियों ने आज़ादी की सांस ली। आज के स्वतंत्रता दिवस के इस शुभ अवसर पर मैं शहीद स्वतंत्रता सेनानियों के लिए कुछ शब्द कहना चाहूँगी,
फाँसी गांधी चढ़ गए और सीने पर गोली खाई,
हम उन शहीदों को प्रणाम करते हैं,
जो मिट गए देश पर,
हम उन शहीदों को प्रणाम करते हैं।
प्रतिवर्ष 15 अगस्त को भारत देश के स्वतंत्रता दिवस के रूप में मानाया जाता है। इस दिन को भारत के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है। हर साल देश के प्रधानमंत्री लाल किले पर राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं जिसके बाद राष्ट्रीय गान गाया जाता है। सेना द्वारा परेड मार्च और शक्ति प्रदर्शन किया जाता है और साथ ही स्वतंत्रता सेनानियों को 21 तोपों की सलामी भी दी जाती है। देश के प्रधानमंत्री देश को संबोधित करते हैं। राष्ट्रध्वज के सम्मान में कुछ लाइन कहना चाहूँगी,
दे सलामी इस तिरंगे को,
जिससे तेरी शान है,
सर हमेशा ऊँचा रखना इसका,
जब तक दिल में जान है !!
15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस के पर्व को संपूर्ण देश में बहुत ही जोश, उमंग और देशभक्ति भाव के साथ मनाया जाता है। स्कूल और कॉलिजों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है जिसमें अधिकतर बच्चे भाग लेते हैं और अलग अलग पेशकश पेश करते हैं। कोई देशभक्ति गीत सुनाते हैं, कोई देशभक्ति से
संबंधित कविता सुनाते हैं और कोई सांस्कृतिक गीतों पर नृत्य तैयार करते हैं। छात्र भगत सिंह, महात्मा गांधी और अन्य क्रांतिकारी बनते हैं और नाटक पेश करते हैं।
सभी दफ्तरों, कार्यालयों, संस्थानों आदि का सरकारी अवकाश रहता है। हमें अंग्रेज़ो के शासन से आज़ादी ऐसे ही नहीं मिली है। इस आज़ादी को प्राप्त करने के लिए हमारे देश के बहुत से स्वतंत्रता सेनानियों ने बलिदान दिया है। हमें सभी शहीद स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदानों को याद रखते हुए, अपने राष्ट्र का सम्मान करते हुए, राष्ट्र के सम्मान को बनाये रखने का प्रण लेना चाहिए। आइए स्वतंत्रता दिवस के इस शुभ दिन पर हम सभी मिलकर राष्ट्र की एकता और अखंडता को बनाये रखने का प्रण लेते हैं। कुछ लाइनों के साथ अपनी बात को समाप्त करती हूँ,
आज़ादी की कभी शाम नहीं होने देंगे,
शहीदों की कुर्बानी बदनाम नहीं होने देंगे,
बची हो जो एक बूँद भी गरम लहू की,
तब तक भारत माता का आँचल नीलाम नहीं होने देंगे।
जय हिन्द! जय भारत!!
भाषण #2
आदरणीय प्रधानाचार्य जी, माननीय अतिथिगण और मेरे प्यारे भारतवासियों। आप सभी को सुप्रभात।
आज हमारा देश बेहद ही जोश और उमंग के साथ अपना 78वाँ स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। हम सभी जानते हैं की हमारे देश को आज़ाद हुए 77 साल पूर्ण हो चुके हैं। दोस्तों, जैसा कि आप को पता है कि हर साल 15 अगस्त के दिन देश के प्रधानमंत्री जी के द्वारा दिल्ली के लाल किले पर देश का तिरंगा झंडा फहराया जाता है। पर दोस्तों, मैं आपके साथ अपने देश के तिरंगे झंडे से संबंधित कुछ जानकारियाँ साझा करना चाहता हूँ। उम्मीद करता हूँ कि मेरे द्वारा दी गई यह जानकारियाँ आपको जरूर पसंद आएँगी।
मित्रों, जो तिरंगा झंडा हम आज देखते हैं जिसे हम राष्ट्रीय ध्वज मानते हैं, उसका डिज़ाइन किसने तैयार किया था? यदि आपको नहीं पता तो चलिए मैं आपको बताता हूँ। मैं आपको बता दूँ कि आज के राष्ट्रीय ध्वज की परिकल्पना, मद्रास (वर्तमान में आंध्र प्रदेश) के मछलीपट्नम के रहने वाले महान क्रांतिकारी और देशभक्त पिंगली वेंकैया ने की थी। उन्होंने ही आज के राष्ट्रीय ध्वज जिसमें केसरिया, सफ़ेद और हरे रंग की तीन पट्टियाँ और सफ़ेद पट्टी में अशोक चक्र स्थित का डिज़ाइन तैयार किया था।
पिंगली वेंकैया ने झंडे का डिज़ाइन तब तैयार किया था, जब वह बॉम्बोलार्ट कंबोडिया कपास अनुसंधान केंद्र में कपास की विभिन्न फसलों के तुलनात्मक अध्ययन कर रहे थे। आपकों जानना जरूरी है कि, सन 1931 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अखिल भारतीय सम्मेलन में ध्वज के तिरंगे डिज़ाइन को संपूर्ण सभा के द्वारा सर्वसम्मति के साथ स्वीकार कर लिया गया।
लेकिन दोस्तों, मैं आपसे कहना चाहता हूँ कि आज कल हम देखते हैं कि 15 अगस्त के दिन तो सभी स्कूल, कॉलेज और कार्यालयों में देशभक्ति के कार्यक्रमों के द्वारा सभी अपनी देशभक्ति दिखाते हैं, परंतु अगले दिन हम देखते हैं कि छोटे-छोटे बने देश के तिरंगे झंडे को लोगों ने यहाँ-वहाँ कूड़े में फेंका होता है। जो लोग 15 अगस्त को अपनी देशभक्ति दिखा रहे थे, वही अगले दिन भारतीय ध्वज का अपमान करते हुए दिखाई देते हैं। मित्रों, मैं आपसे कहना चाहूँगा कि यह अनुशासन हीनता का परिचय है। हमें अपने राष्ट्रीय ध्वज का पूरे वर्ष क्या मरते दम तक सम्मान करना चाहिए। इस तरह की हरकतों से पूरी दुनिया में हमारा और हमारे देश के राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान कम होता है।
दोस्तों, मैं आपसे यही कहना चाहूँगा कि हमें ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए कि जिससे हमारे देश के मान-सम्मान को ठेस पहुँचे। अंत में मैं ‘भारत माता की जय’, ‘जय हिन्द’, ‘जय जवान, जय किसान’ आदि शब्दों के साथ अपने भाषण को खत्म करना चाहूँगा। मंच से जाते-जाते अपने देश के संबंध में प्रसिद्ध यह एक पंक्ति कहना चाहूँगा,
सारे जहाँ से अच्छा,
हिन्दोस्ताँ हमारा।
मित्रों, आओ हम सब मिलकर एक ऐसा अपना देश हिंदुस्तान बनाएँ, जो दुनिया में सबसे प्यारा और अच्छा हो।
धन्यवाद।
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