निबंध लेखन
Middle School Level
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अब तक मैंने बहुतों की आत्मकथा लिखी है। आज मैं खुद अपनी आत्मकथा सुना रही हूँ। अपने बुद्धिबल से मनुष्य को भाषा का ज्ञान हुआ। भाषा में उसे अपने अनुभव लिखने की इच्छा हुई। तब उसे मेरी जरूरत पड़ी। मेरे साथ ही कागज और स्याही का भी जन्म हुआ।
मेरा सबसे पहला रूप मोरपंख का था। अपना वह रूप मुझे बड़ा अच्छा लगता था। कुछ समय के बाद मनुष्य ने मुझे नरकट से बनाना शुरू किया। नरकट के बाद मैं लकड़ी के होल्डर के रूप में आ गई मेरी जीभ को लोग निब कहते थे। मैं अपनी निब को स्याही में डुबोती थी। फिर कागज पर लिखती थी। पेंसिल के रूप में भी मैंने बहुत लिखा। धीरे-धीरे फैशन का जमाना आया। मैंने भी अपना रूप बदला। अब मैं बालपेन के रूप में हूँ। अपना यह रूप मुझे बहुत पसंद है।
इस तरह मोरपंख, नरकट, पेंसिल, स्याही की पेन और बालपेन आदि मेरी विकास यात्रा है। मेरी वह यात्रा कभी नहीं रुकेगी।
और आत्मकथा के लिए :