निबंध लेखन

Middle School Level

एक मधुमक्खी की आत्मकथा

एक मधुमक्खी की आत्मकथा

मेरी गुनगुनाहट सुनकर तुम चौक गए हो न ! मुझे भगाने के लिए तुमने मेज पर पड़ा अखबार उठा लिया है। मगर तुम व्यर्थ ही डर रहे हो। जब तक कोई मुझे छेड़ता नहीं, तब तक मैं डंक नहीं मारती।

 

तुम्हारे घर के कोने पर जो बड़ा-सा छत्ता लगा हुआ है, उसी की एक कोठरी में मेरा जन्म हुआ था। हमारे छत्ते में मुझ जैसी हजारों मधुमक्खियाँ रहती है। हम सबको जन्म देनेवाली एक ही मधुमक्खी है। उसे हम सब ‘रानी माँ’ कहते हैं। 

 

हमारे परिवार में सभी सदस्यों के काम बँटे हुए हैं। मुझे फूलों से पराग कण लाने का काम सौंपा गया है। यह काम बहुत जिम्मेदारी और मेहनत का है।

 

रोजाना सूरज निकलने के पहले ही मैं छत्ता छोड़कर निकल पड़ती हूँ। मेरे साथ मेरी सहेलियाँ भी रहती हैं। हम सुबह से शाम तक कलियों और फूलों पर मँडराया करती हैं। सूरज डूबने के साथ ही हमारा यह काम बंद हो जाता है। तब हम दिन भर में इकट्ठे किए हुए पराग को अपने छत्ते में ले जाकर जमा कर देती हैं।

 

एक दिन, एक गुलाब की कली चटख कर फूल बन ही रही थी, कि मैं उसके पास जा पहुँची। पराग इकट्ठा करने की धुन में मैंने उस कली के डंठल पर उगे काँटो की ओर ध्यान नहीं दिया। नतीजा यह हुआ कि एक बड़े-से काँटे ने मेरा दाहिना पंख चीर दिया। बहुत दर्द हुआ। लेकिन क्या करती ? लापरवाही तो मेरी ही थीं।

 

जो भी हो, मैं पूरे मन से अपनी जिम्मेदारी निभाने की कोशिश करती हूँ। मैं नहीं चाहती कि ‘रानी माँ मेरी काहिली पर नाराज होकर मुझे छत्ते से खदेड़ दें। 

 

मेरी तरह तुम भी अपनी जिम्मेदारी पूरी करने की भरसक कोशिश करते रहो।

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