निबंध लेखन

Middle School Level

एक बूढ़े कुत्ते की आत्मकथा

एक बूढ़े कुत्ते की आत्मकथा

मैं एक बूढ़ा कुत्ता हूँ। मेरा जन्म एक बँगले के पिछवाड़े हुआ था। मेरे कई भाई थे। मेरी माँ हमें बहुत प्यार करती थी।

 

मैं बचपन से ही बड़ा साहसी था। एक बार रात में बँगले में कुछ चोर घुसे। मेरे भौकने पर बँगले के लोग जाग गए। उन्होंने चोरों को भागते हुए पकड़ लिया। उस दिन से बँगले के मालिक मुझे बहुत चाहने लगे।

 

मैं मुन्ना बाबू के साथ घंटों खेलता रहता था। वे मुझे ‘बहादुर’ कहकर बुलाते थे। बँगले के नौकर मेरी बहुत देखभाल करते थे। मैं कई साल बँगले में रहा और सबकी सेवा करता रहा।

 

अब मैं बूढ़ा हो गया हूँ। बँगले के बाहर एक कोने में अपनी बाकी जिंदगी बिता रहा हूँ।

 

भगवान जाने, अभी जिंदगी के कितने दिन बाकी है!

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