निबंध लेखन

Middle School Level

बादल की आत्मकथा

बादल की आत्मकथा

मैं बादल हूँ। आसमान में सैर करते-करते मैं आपको अपनी आत्मकथा सुनाता हूँ।

 

मेरा जन्म सागर में भाप के रूप में हुआ। उस समय में बहुत हलका था। हलका होने के कारण मैं ऊपर उठने लगा। हवा अपनी गोद में बिठाकर मुझे आसमान में ले गई। खुले आकाश में पहुँचने पर मुझे बहुत अच्छा लगा। लेकिन वहाँ ठंड बहुत थी। ठंड पाकर मैं पानी की बूँदों में बदल गया। देखते ही देखते बहुत-सी बूँदें एक साथ जमा हो गई। तब मैं बादल कहलाने लगा।

 

आकाश में मेरे और भी बादल भाई थे। हमने आकाश में खूब सैर की। हमारे बीच दौड़ने की प्रतियोगिताएँ भी हुई।

 

एक दिन हमने धरती को बहुत दुःखी देखा। वह बहुत प्यासी थी। उसका दुःख हमसे देखा न गया। हमने बरसने का निश्चय किया। सोचा कि धरती सुखी हो जाए तो हमारा मिटना सफल हो जाएगा।

और आत्मकथा के लिए :