साँप और नेवला

एक स्त्री और उसका छोटा बच्चा – साँप के डर से नेवला पालना – स्त्री का कुएँ पर पानी भरने जाना – साँप का घर में घुसना – नेवले का साँप पर टूट पड़ना – मार डालना – नेवले का घर से बाहर आना – मुँह पर खून – स्त्री का लौटना – बच्चे का हत्यारा समझकर नेवले को मार डालना – बाद में पछताना – सीख।

साँप और नेवला

सोना नाम की एक स्त्री थी। उसके एक छोटा बच्चा था। सोना ने अपने घर के आस-पास कई बार साँप देखा था। उसे डर था कि साँप कहीं घर में न आ जाए। इसलिए उसने एक नेवला पाल लिया था।

 

एक दिन सोना कुएँ पर पानी भरने गई। कुआँ दूर था। घर में बच्चा चटाई पर सो रहा था। उसी समय एक साँप सोना के घर में घुसा। वह बच्चे की ओर जा रहा था। नेवले ने साँप को देखा। वह उस पर टूट पड़ा। देखते ही देखते उसने साँप के टुकड़े-टुकड़े कर डाले।

 

साँप को मारकर नेवला घर के बाहर आया। उसका मुँह खून से सना था। उसी समय सोना घड़े में पानी भरकर लौटी। उसने नेवले के मुँह पर खून लगा देखा। उसने सोचा, इसने अवश्य ही मेरे बच्चे को मार डाला है। ऐसा सोचकर उसने घड़ा नेवले के सिर पर दे मारा। नेवला वहीं ढेर हो गया।

 

सोना घर में गई। वहाँ उसने साँप के टुकड़े देखे। तुरंत सारी घटना उसकी समझ में आ गई। अपनी भूल पर वह बहुत पछताई।


 सीख : बाहरी दिखावे पर न जाकर सच्चाई को समझें, ताकि गलत निर्णयों से बच सकें।

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