भारत की जनसंख्या : एक समस्या
प्रस्तावना :
आज संसार के सामने अनेक छोटी-बड़ी समस्याएँ हैं। प्रत्येक देश उनके समाधान के लिए अपने-अपने ढंग से जुटा है ताकि विकास में किसी प्रकार का अवरोध उत्पन्न न हो। इनमें बढ़ती हुई जनसंख्या की समस्या काफी गंभीर है। इसके समाधान में अधिकतम देश जी-जान से लगे हैं। तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण उनकी विकास और प्रगति की सारी योजनाएँ विफल होती जा रही हैं। भारत में तो जनसंख्या वृद्धि की समस्या उसके प्रगति पथ का सबसे बड़ा अवरोध बन गया है। जनसंख्या वृद्धि की समस्या अनेक अन्य समस्याओं को उत्पन्न करती है। प्रत्येक व्यक्ति की मुख्य आवश्यकताएँ हैं- भोजन, वस्त्र और आवास। आज अनेक देश में लाखों व्यक्तियों को भरपेट भोजन ही नहीं मिल पाता, तन ढकने के लिए वस्त्र नहीं मिल पाता तथा बिना घर-बार के खुले आसमान के सामने (नीचे) जीवन-यापन करते हैं। इनमें सभी समस्याएँ कहीं-न-कहीं जनसंख्या वृद्धि से जुड़ी हैं।
स्वतंत्र प्राणी के बाद हुए परिवर्तन और जनसंख्या वृद्धि :
स्वतंत्रता मिलने के बाद भारत तीव्र गति से कृषि, उद्योग तथा व्यवसाय के क्षेत्र में विकास के पथ पर अग्रसर है। हर क्षेत्र में आशातीत प्रगति हुई है। आज कृषि योग्य देश की लगभग सारी भूमि पर खेती हो रही है। सिंचाई के लिए नदियों पर भाखड़ा नांगल, दामोदर घाटी, नागार्जुन सागर तथा रिहन्द जैसे अनेक बांध बन चुके हैं। देश के अनेक भागों में नहरों का जाल बिछ गया है, किसानों की पम्पिंग सेट तथा नलकूप उपलब्ध कराये गये हैं। वैज्ञानिक ढंग से खेती करने का किसानों को प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। प्रगति के इन परिणामों के फलस्वरूप हमारे कृषि उत्पादन में भी बड़ी वृद्धि हुई है, किंतु दूध, दही, घी, तिलहन, दाल, कपास आदि की कमी हम अब भी अनुभव कर रहे हैं।
हालांकि हम अपनी दैनिक आवश्यकताओं की वस्तुओं का उत्पादन अपने देश में प्रचुर मात्रा में करने लगे हैं। फिर भी हम अपने देश में आवश्यक वस्तुओं की कमी पूरी नहीं कर पा रहे। जीवन के लिए नितांत आवश्यक वस्तुओं के क्रय-विक्रय पर भी सरकार को प्रतिबंध लगाना पड़ता है। आज हम अपने से कई गुणा अधिक निर्यात कर रहे हैं कि फिर भी हमारे देश की गणना संसार के अविकसित देशों में की जाती है। हमें अपने विकास कार्यों के लिए दूसरों से कर्ज लेना पड़ रहा है।
आज यातायात के साधनों का बहुत विकास हुआ है। लाखों बसें रात-दिन देश की सड़कों पर दौड़ती हैं। जहाँ पर पहले दो-तीन रेलगाड़ियाँ चलती थीं वहाँ अब दस-दस गाड़ियाँ चलने लगी हैं, लेकिन बढ़ती जनसंख्या के कारण हम सुख से यात्रा नहीं कर पाते। बसों और गाड़ियों में हमें अपार भीड़ का सामना करना पड़ता है। कभी-कभी लम्बी-लम्बी यात्राएँ खड़े-खड़े करनी पड़ती हैं। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद विद्यालयों की संख्या पहले से दोगुनी चौगुनी हो चुकी हैं। फिर भी अनेक विद्यार्थियों की शिक्षा इसलिए रुक जाती है कि उन्हें किसी विद्यालय में प्रवेश नहीं मिल पाता। चारों ओर भीड़-ही-भीड़ दिखाई देती है। ऐसा प्रतीत होता है जैसे स्त्री-पुरुष का समुद्र उमड़ आया हो। किसी देश की खाद्य सामग्री के उत्पादन में उसी अनुपात में वृद्धि नहीं होती है जिस अनुपात में जनसंख्या में वृद्धि होती है। जनसंख्या में असाधारण वृद्धि के कारण हम अपने जीवन को सुखी व संतुष्ट नहीं बना सके हैं।
भारत में जनसंख्या वृद्धि की दर और कारण :
जनसंख्या की दृष्टि से हमारा भारत संसार का दूसरा सबसे बड़ा देश है। सम्पूर्ण विश्व की जनसंख्या का छठवां भाग भारत में बसा है जबकि भारत का क्षेत्रफल विश्व के क्षेत्रफल का केवल 2.4 प्रतिशत है। आज हमारे देश की जनसंख्या लगभग सवा सौ करोड़ है। भारत में जनसंख्या वृद्धि दर 2.11 प्रतिशत है। यदि इसी दर से वृद्धि होती रही तो इस शताब्दी के अंत तक जनसंख्या दो अरब को भी पार चुकेगी अतः आज इस देश के प्रत्येक नागरिक का यह कर्त्तव्य है कि वह इस समस्या पर गंभीरता से विचार करे और ऐसे प्रयत्न करे कि आगे आने वाली पीढ़ियों को कठिनाइयों का सामना न करना पड़े। कुछ लोग तो ऐसे हैं जो समझते हैं कि सन्तानोत्पति से ही उनका लोक-परलोक सुधता है। इसी प्रकार कुछ जातियों में बहु-विवाह की प्रथा प्रचलित है। अनेक व्यक्ति ऐसे भी होते हैं जो पुत्री प्राप्त कर लेने के बाद पुत्र प्राप्त की कामना में जनसंख्या की वृद्धि करते हैं।
जनसंख्या वृद्धि रोकने के उपाय :
जनसंख्या वृद्धि अनेक समस्याओं के मूल में विद्यमान है। इसीलिए आज सारी जनता को एकजुट होकर इस पर नियंत्रण करने का प्रयास करना चाहिए। जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण को हमें जन-आंदोलन का रूप देना है। इसीलिए हमारी सरकार ने परिवार कल्याण की योजनाएँ चलाई हैं। इन योजनाओं को सफल बनाने में सहयोग प्रदान करना भारतीय नागरिक का प्रथम कर्तव्य है। सभी राज्यों में लोगों को जानकारी देने और जागरूक बनाने के उद्देश्य से प्रशिक्षण केंद्र खोले गए हैं और अब सभी गाँवों में प्रशिक्षण कर्मचारी उपलब्ध हैं। इस योजना से देश को लाभ हुआ है और हमारी जनसंख्या वृद्धि दर कुछ घटी है। पर अभी तक अपेक्षित परिणाम नहीं प्राप्त हुए। क्योंकि सरकार को इस योजना में जनता का पूरा सहयोग प्राप्त नहीं हो सका है।
उपसंहार :
जनसंख्या वृद्धि इस युग की प्रमुख समस्या है और जनसंख्या का परिसीमन इस युग का प्रमुख धर्म है। यदि हम अपना, अपने परिवार का, अपने देश का कल्याण करना चाहते हैं तो हमें इस धर्म का पालन करना ही होगा। इस धर्म का पालन ही आज सच्ची देशभक्ति है।
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