निबंध लेखन

Middle School Level

एक मछुए की आत्मकथा

एक मछुए की आत्मकथा

समुद्र के किनारे रेती पर मुझे जाल फैलाते देखकर तुम अचरज में पड़ गए हो। सोच रहे हो, यह कौन है? मैं एक मछुआ हूँ। मछलियाँ पकड़ कर और उन्हें बेचकर अपने परिवार का गुजारा करता हूँ।

 

दूर, नारियल के पेड़ों के बीच में से एक गाँव की झलक देख रहे हो न ? उसी गाँव में मेरा जन्म हुआ था। मेरे जन्म पर मेरे माता-पिता ने बहुत उत्सव मनाया था। जब मैं पाँच वर्ष का हुआ, तब पिताजी ने गाँव की पाठशाला में मेरा नाम लिखा दिया।

 

मैं रोजाना पाठशाला जाता था। पढ़ने-लिखने में तो मेरा मन ज्यादा नहीं लगता था, मगर खेल-कूद में मैं बहुत रुचि लेता था। अकसर में समुद्र के किनारे जाकर घंटों समुद्र की लहरों को देखा करता था।

 

एक दिन आसमान में काले-काले बादल घिर आए थे। तेज हवा चल रही थी। रेडियो से तूफान आने की सूचना मिल चुकी थी। लेकिन, मेरे पिताजी अपनी नौका लेकर मछलियाँ पकड़ने निकल चुके थे। अंत में हुआ वही, जिसका डर था। पिताजी गए, तो फिर लौटे ही नहीं। अब मैंने पाठशाला छोड़कर, नौका सँभाली और मछुए का काम करने लगा।

 

मैं सुबह से शाम तक मछलियाँ पकड़ता रहता हूँ। मेरी माँ और बहने उन्हें बाजार में बेच आती है। इस धंधे से जो आमदनी होती है, उसी से हम गुजारा करते हैं।

 

अब तो मेरी शादी भी हो चुकी है। मेरे तीन साल का एक बच्चा भी है। लेकिन, मैं उसे मछुआ नहीं बनाना चाहता। मैं उसे खूब पढ़ा-लिखाकर वकील बनाना चाहता हूँ। यही मेरी सबसे बड़ी इच्छा है।

 

काश, मेरी यह इच्छा पूरी हो पाती।

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