निबंध लेखन

Middle School Level

फटी हुई पतंग की आत्मकथा

फटी हुई पतंग की आत्मकथा

मैं एक फटी हुई पतंग हूँ।

 

मेरा जन्म कुछ दिन पहले इसी शहर में हुआ था। मेरे साथ मेरी बहुत-सी बहनें थीं। कई कारीगरों ने कागज और बाँस की तीलियों से हमें बनाया था। तब मेरा रूप देखते ही बनता था। उन लोगों ने हमें एक दुकानदार के हाथों बेच दिया। शाम को एक लड़का उस दुकान से बहुत-सी पतंगें खरीदकर ले गया। उनमें में भी थी।

 

उस लड़के को पतंग उड़ाने का बहुत शौक था। उसने सभी पतंगों में दो-दो छेद किए और धागे बाँधे। मकरसंक्रांति के दिन वह ढेर सारी पतंगें तथा धागे की चरखी लेकर अपने मकान की छत पर पहुँचा। उसने सबसे पहले मुझे ही उड़ाया। आसमान में पहुँचकर मैं फूली न समाई। जोश में मैंने अपने आस-पास उड़ने वाली कई पतंगों को काटकर नीचे गिरा दिया। तभी एक पतंग ने मुझे जोरदार धक्का दिया। मैं नीचे गिरी और एक पेड़ में उलझ गई। तब से मैं इसी पेड़ पर टँगी हुई हूँ।

 

अब पता नहीं, मेरे भाग्य में क्या लिखा है !

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