निबंध लेखन

Middle School Level

कागज की आत्मकथा

कागज की आत्मकथा

मैं कागज हूँ। तुमने मुझ पर छपी बहुत सी कहानियाँ पढ़ी हैं। आज मेरी कहानी सुनो।

 

बुद्धिमान मनुष्य ने हजारों साल पहले एक प्रकार की लुगदी बनाई। यह लुगदी लकड़ी, बाँस और घास को गलाकर बनाई गई थी। इस लुगदी को ही आप मेरी माँ मान सकते हैं।

 

इस लुगदी पर दबाव डाला गया। दबाव से यह धीरे-धीरे फैल गई। सूख जाने पर उसे ‘कागज’ नाम दिया गया। इस प्रकार मेरा जन्म हुआ। मेरा यह रूप बहुत भद्दा और खुरदरा था। लेकिन झींगुर और दीमक उसे नुकसान नहीं पहुँचा सकते थे। इसलिए पुराने ग्रंथ आज भी सुरक्षित हैं।

 

आजकल तो बड़े-बड़े कारखानों में मशीनें मुझे बनाती है। मेरा रंग-रूप दिन पर दिन निखरता जा रहा है। मेरा महत्त्व तो आप जानते ही हैं। कार्यालयों का सारा काम मुझ पर ही होता है। छोटी बड़ी किताबें और बड़े-बड़े ग्रंथ भी मुझ पर ही छापे जाते हैं। मैं न होऊँ तो दुनिया का सारा काम-काज ठप हो जाए।

 

अपना इतना महत्त्व देखकर मुझे अपने पर बड़ा गर्व होता है।

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