पुनरावर्तन – १
१. वर्णमाला सुनाओ और विशेष वर्णों के उच्चारण पर ध्यान दो ।
उत्तर:
स्वर
अ आ इ ई उ ऊ ऋ
ए ऐ ओ औ अं अः अँ ऑ
व्यंजन
क ख ग घ ङ
च छ ज झ ञ
ट ठ ड ढ ण
त थ द ध न
प फ ब भ म
य र ल व
श ष स ह ळ
क्ष त्र ज्ञ श्र
२. विद्यालय के स्नेह सम्मेलन का वर्णन करो ।
उत्तर:
ज्ञानदीप विद्यालय का रंगारंग स्नेह संमेलन
दि. 10 सितंबर, 2020 को ज्ञानदीप विद्यालय का स्नेह संमेलन मातोश्री प्रमिलाबेन सभागृह में धूमधाम से संपन्न हुआ। समारोह का अध्यक्षपद मशहूर कलाकार समीर वाजपेयी ने विभूषित किया। इस अवसर पर कई गणमान्य अतिथि, पाठशाला के आजी-माजी विद्यार्थी एवं अभिभावन उपस्थित थे। ईश- स्तवन से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। चौथी कक्षा के छात्रों ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। तत्पश्चात विद्यालय के निरीक्षक पांडे सर ने अध्यक्ष महोदय का परिचय दिया और गुलदस्ता देकर सम्मानित किया। अध्यक्ष महोदय के करकमलों द्वारा होनहार छात्रों को पुरस्कृत किया गया।
इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम रखे गए थे जो सभी इतने अच्छे थे कि कई दिनों तक चर्चा का विषय बने रहे। भारतीय त्योहार विषय रखा गया था और उसके अनुरूप नृत्य, गीत, एकांकी नाटक आयोजित किए गए थे। जो मराठी, अंग्रेजी और हिंदी भाषा में प्रस्तुत किए गए।
अध्यक्ष महोदय ने इस कार्यक्रम की भूरी-भूरी प्रशंसा की और विद्यार्थियों को उनके सुनहरे भविष्य की कामना करते हुए शुभाशिष दिया। ज्येष्ठ शिक्षिका श्रीमती कमला जी ने धन्यवाद यापन किया और राष्ट्रगीत के साथ इस रंगारंग कार्यक्रम का समापन हुआ।
३. पसंदीदा विषय पर विज्ञापन बनाकर उसको पढ़ो ।
उत्तर:
४. फल-फूलों के दस-दस नाम लिखो ।
उत्तर:
फलों के नाम:
(i) आम
(ii) अंगूर
(iii) केला
(iv) कटहल
(v) पपीता
(vi) सेब
(vii) बेर
(viii) लीची
(ix) अनार
(x) जामुन
फूलों के नाम:
(i) कमल
(ii) गुलाब
(iii) गेंदा
(iv) चमेली
(v) जूही
(vi) गुड़हल
(vii) सूरजमुखी
(viii) रजनीगंधा
(ix) चंपा
(x) लीली
५. अक्षर समूह में से खिलाड़ियों के नाम बताओ और लिखो ।
इ ह ना सा ल वा ने
उत्तर: साइना नेहवाल
ध्या द चं न
उत्तर: ध्यानचंद
व शा ध जा बा खा
उत्तर: खाशाबा जाधव
ह ल्खा सिं मि
उत्तर: मिल्खा सिंह
म री कॉ मे
उत्तर: मेरी कॉम
नि मि सा र्जा या
उत्तर: सानिया मिर्जा
न र स ल डु तें क
उत्तर: सचिन तेंडुलकर
कृति/उपक्रम
(१) माता-पिता से अपने बारे में सुनो।
उत्तर: बचपन के दिन होते ही ऐसे सुहाने कि उनकी यादों के सहारे उन्हें बार-बार जी लेने का मन करता है। मैं अकसर अपने माता-पिता को अपने बचपन की बातें सुनाने का अनुरोध करती रहती हूँ और जितना मजा मुझे सुनने में आता है उतना ही उन्हें बताने में आता है यह भी मैंने गौर किया है।
एक बार मैं रूठ गई थी और कमरे का दरवाजा बंद करके बैठ गई। थोड़ी देर बाद माँ ने मुझे दरवाजा खोलने को कहा तो मैंने उसे ही डाँटा और कहा कि मैंने उसे बंद कर दिया है अब पापा आने तक उधर ही कमरे में बंद रहो, खोलूँगी ही नहीं। मेरा अबोध मन समझ ही नहीं पाया कि मैंने माँ को नहीं बल्कि खुदको ही बंद कर लिया है। फिर पापा आए तो मैंने माँ की खूब शिकायत की। फिर पापा ने माँ को झूठ-मूट का डाँटा भी और मुझे दरवाजा खोलने को कहा। लेकिन अब मेरे नन्हें-हाथों से दरवाजा खुल ही नहीं रहा था। इतनी देर शेर की तरह दहाड़ने वाली शेरनी अब भिगी बिल्ली बनकर पापा को कह रही थी, ‘मुझे बाहर निकालो, दरवाजा नहीं खुल रहा।’ आखिर में चाबीवाले को बुलाकर दरवाजा खुलवाया, तब तक माँ मुझे परी की कहानी सुनाती रही। और जैसे ही दरवाजा खुला मुझे बाहों में भरकर चूमने लगी। मेरी रूठनेवाली बात तो मैं कब की भूल चुकी थी।
(२) पिछले वर्ष किए अपने विशेष कार्य बताओ।
उत्तर: पिछले वर्ष मुझे पाठशाला की ओर से आंतरशालेय कविता गायन प्रतियोगिता के लिए चुना गया था। मेरी अध्यापिका ने मुझे कविता लिख दी थी जो मैंने उनके मार्गदर्शन के अनुसार अच्छी तरह रट भी ली थी। मेरी अध्यापिका को मुझसे बहुत उम्मीद थी और मैं भी चाहती थी कि उनकी उम्मीद पर खरी उतरूँ।
जब मैं प्रतियोगिता के लिए दूसरी पाठशाला में पहुँची तो अन्य प्रतियोगियों को देखकर थोड़ी सहम गई थी। जब प्रतियोगिता शुरू हुई तो निर्णायक गण में हिंदी के बड़े-बड़े साहित्यिक थे। उनके सामने कविता का गान करना मुश्किल लग रहा था। परंतु जैसे ही मेरा नाम पुकारा मैं मंच पर चली गई। माईक के सामने खड़ी थी तब मेरे पैर काँप रहे थे। परंतु मेरी शिक्षिका ने मेरी ओर मुस्कराकर देखा और मुझमें हिम्मत आ गई और 1 फिर पूरे आत्मविश्वास के साथ मैंने कविता सुना दी। सभागृह तालियों से गूँज उठा और मैं अपनी जगह आ बैठी।
जब निर्णय घोषित किया गया तो मुझे अपने कानोंपर विश्वास नहीं हो रहा था मुझे प्रथम पुरस्कार मिला था। मेरी कामयाबी पर मेरी शिक्षिका की आँखों में स्नेह और खुशी के आँसू छलक आए थे। मैं उनकी उम्मीदों पर खरी उतरी थी। मैंने अपनी पाठशाला का नाम भी रोशन किया। मेरी तस्वीर अखबार में छपी। मेरे माता-पिता और मेरे साथी सबको मैंने खुशी दी थी मुझे इस बात का सुख मिला।
(३) बाल सभा में प्रतिदिन बोध कथा का वाचन करो
उत्तर: किसी गाँव में एक सुंदर तालाब था। पास ही एक नदी बहती थी। एक दिन तालाब ने नदी से कहा, “बहन, तुम बड़ी भूल करती हो, जो अपना मीठा जल समुद्र को दे देती हो। समुद्र उसे खारा बना देता है और तुम्हारा कोई एहसान भी नहीं मानता। इसलिए अच्छा होगा, यदि तुम अपने भविष्य के लिए इसे सँभालकर रखो। बुद्धिमान जो काम करते हैं, उसके बारे में पहले ही सोच लेते हैं।”
तालाब की बात सुनकर नदी मुस्कराई और बोली, “अरे भाई, हमें अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए। कर्म करते हुए उसके फल की चिंता में नहीं पड़ना चाहिए। मैं अपने मीठे जल से समुद्र का भंडार भर रही हूँ। अब यह उसका कर्तव्य है कि वह उसे खारा रखे या मीठा मैं तो अपने कर्तव्य का पालन करूँगी।” नदी की बातें तालाब को अच्छी नहीं लगी। वह चुप हो गया।
गर्मी का मौसम आया तालाब सूख गया पर नदी उसी तरह स्वच्छ जल बाँटती रही। समुद्र को उसी गति से भरती रही। समुद्र को भी अपने कर्तव्य का ज्ञान हुआ। आषाढ़ आया। समुद्र ने बादलों से मीठा जल बरसाया। नदी उमड़ आई और दूगने वेग से समुद्र का घर भरने लगी।
यह देख तालाब बड़ा लज्जित हुआ और समझ गया कि नदी ठीक कहती थी। दूसरों की टीका-टिप्पणी न करके हमें कर्तव्यपरायण होना चाहिए।
(४) वर्ष भर के खेल- समाचारों का सचित्र संकलन प्रस्तुत करो।
उत्तर: अखबार या मासिक पत्रिका से जानकारी इकट्ठा कर सकते हो। प्राप्त जानकारी तिथि के अनुसार चिपकाए।