पाठ ४ – जोकर
मुहावरों और कहावतों का भाषण में बहुत महत्व है। इस पाठ में मुहावरों और कहावतों को वाक्य में प्रयोग करके चित्रों के द्वारा समझाया गया है।
मुहावरे
जान पर खेलना – प्राणों की परवाह न करना
वाक्य : सच्चा मित्र वही है जो अपने दोस्त के लिए जान पर खेल जाए।
ठहाका लगाना – जोर से हँसना
वाक्य : जब रात में कपिल शर्मा शो आता है तो पूरा मोहल्ला ठहाके लगाता है।
मन मसोसकर रह जाना – कुछ न कर पाना
वाक्य : मैं डॉक्टर बनना चाहता था मगर गरीबी के कारण मुझे अपना मन मार कर रहना पड़ा।
फूला न समाना – अत्यधिक खुश होना
वाक्य : राकेश के नौकरी लग जाने से पिताजी फूला नहीं समा रहे।
दंग रहना – आश्चर्य चकित होना
वाक्य : जब मैं पहली बार हवाई जहाज में चढ़ा तब बादलों के ऊपर से नजारे देख मैं दंग रह गया।
आँखें दिखाना – गुस्सा होना
वाक्य : उधारी का पैसे वापस देने से मना करने से सेठ आँखें दिखाने लगे।
कहावतें
गंगा गए गंगादास, जमुना गए जमनादास – अवसरवादी
वाक्य : जो इंसान चाँद रुपयों पर बिक जाए, उनका क्या भरोसा – गंगा गये गंगादास, जमुना गये जमुनादास।
नाच न जाने, आँगन टेढ़ा – अपना दोष छिपानेके लिए औरों मेंकमी बताना ।
वाक्य : पराजित टीम के कप्तान ने सारा दोष पिच पर डाल दिया तो दर्शक कहने लगे, नाच न जाने आँगन टेढ़ा।
अध्ययन कौशल
किन्हीं पाँच मुहावरों / कहावतों के सांकेतिक चित्र बनाओ : जैसे
उत्तर:
१. सीधी उँगली से घी न निकले तो उँगली टेढ़ी करनी पड़ती है
२. आम के आम गुठलियों के भी दाम
३. एक और एक ग्यारह होते हैं
४. आँखों का तारा
५. आसमान सिर पर उठाना
खोजबीन
निम्नलिखित शब्द को लेकर चार मुहावरे लिखो ।
उत्तर:
(१) हाथ साफ करना
(२) हाथ पाँव मारना
(३) हाथ खींचना
(४) हाथ मलते रह जान
स्वयं अध्ययन
‘अब पछताए होत क्या, जब चिड़िया चुग गई खेत’ परआधारित कोई कहानी सुनाओ ।
उत्तर:
अब पछताए होत क्या, जब चिड़िया चुग गई खेत
यह कहानी है एक गरीब लड़के की, जिसका नाम राजू था, और उसके पड़ोसी दो बच्चे थे, विकास और सुनीता। राजू एक मेहनती और समझदार बच्चा था, जबकि विकास और सुनीता खेलने-खुशियाँ में ही समय गवा देते थे।
एक दिन, गाँव में बड़ी बरसात हुई और सारे रास्ते बंद हो गए। विकास और सुनीता बिना भोजन के भूखे पेट घर वापस आए, जबकि राजू ने अपने संबंधियों के साथ खुशी-खुशी बरसात का आनंद लिया और घर में सुरक्षित रूप से रहा।
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि मेहनत और समय पर योजना बनाने का महत्व होता है। राजू ने सही समय पर मेहनत की और उसका भविष्य सुरक्षित रहा, जबकि विकास और सुनीता की बिना योजना के खुशियाँ बर्बाद हो गई। “अब पछताए होत क्या, जब चिड़िया चुग गई खेत” – इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि बिना योजना के जीवन कभी-कभी अच्छा नहीं हो सकता।
जरा सोचो ………. बताओ
यदि साइकिल तुमसे बोलने लगी तो ……
उत्तर: बच्चो, मनुष्य की बहुत समय से इच्छा रही कि एक ऐसी मशीन बनाई जाए जिसे चलाने के लिए घोड़ा आदि जानवर या डिझेल, पेट्रोल, कोयला आदि की जरूरत न पड़े। वर्ष 1817 में जर्मन निवासी बैरन वान ने छकड़े के दो पहियों को लकड़ी के एक फ्रेम से जोड़कर मुझे जन्म दिया। तब मेरे पैडल नहीं थे, इसलिए चलाना मुश्किल होता था। फिर 1840 में मेरे अगले पहिए के साथ दो पैडल लगा दिए गए। अब चलाना तो आसान हुआ लेकिन ढलान पर रोकना मुश्किल होता था। सन 1845 में फ्रांसीसी निकोलस ने मेरे ब्रेक फिट किए और सब ठीक हो गया। इस तरह उत्तरोत्तर मेरा रूप बदलता गया और आज गियर्स भी लग गए हैं।
आज यातायात के अनेक साधन उपलब्ध हैं, परंतु उनसे जुड़ी समस्याएँ भी कम नहीं। इन वाहनों की कीमतें, रखरखाव का खर्च देखेंगे तो समझ जाओगे कि मैं सबसे किफायती हूँ। मुझे चलने के लिए महँगी सड़कों की भी आवश्यकता नहीं। एक बित्ते की मेंड भी मेरे लिए पर्याप्त है। मैं अपने सवार को लेकर आराम से निकल जाती हूँ।
आज का युग गति का युग है। हर कोई पहले आगे बढ़ना चाहता है। ऐसे में सावधानी न बरतने से दुर्घटनाएँ हो जाती हैं। कई बार लोगों को जान से हाथ धोने पड़ते हैं। पर आपने कभी सुना कि दो साइकिल टकराने से दुर्घटना हुई और जान चली गई। मैंने कभी किसी की जान नहीं ली। अब दुनिया का नियम है कि संसार की सभी वस्तुओं का अंत होता ही है। मेरा भी होगा। लेकिन नुकसान अधिक न होने के कारण मेरे जाने पर गम भी ज्यादा नहीं होता हूँ न मैं सबसे निराली। पर्यावरण का ख्याल रखनेवाली अद्वितीय सवारी। इसीलिए आजकल मेरी माँग बढ़ने लगी है। मेरे तो अच्छे दिन आ गए हैं।
विचार मंथन
।। गागर में सागर भरना ।।
सदैव ध्यान में रखो
हमें सदैव प्रसन्न रहना चाहिए ।
समझो हमें
चित्र की सहायता से बारहखड़ी के शब्द बनाकर लिखो ।
उत्तर:
(२) कागद / काजल
(३) किसान
(४) कीमत
(५) कुटीर
(६) कूकना
(७) कमल
(८) केकड़ा
(९) कैलास
(१०) कोयल
(११) कौशिक
(१२) कंगन