पाठ ७ – खुला आकाश
प्रस्तुत पाठ डायरी विधा में लिखा गया है। यह लेखक द्वारा अलग-अलग दिन लिखे गए लेख के अंश है। लेखक अपनी डायरी में लिखते हैं. कि व्यक्ति को हृदय को दुनिया बाहरी दुनिया से बड़ी होती है। यदि व्यक्ति चाहे तो वह अपने मन की दुनिया को समृद्ध बना सकता है। आज हमारे शहरों का बहुत ही बुरा हाल है। चारों ओर मकान ही दिखाई देते हैं। कांक्रीट के इस जंगल में पर्यावरण को हानि हो रही है। लेखक के अनुसार सही साहित्य कही होता है, जिसे व्यक्ति अपनी दोनों आँखों से देखता है। व्यक्ति को एक जगह पर बैठकर स्वयं के बारे में सोचना चाहिए। आत्मचिंतन बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। मनुष्य के पास मनुष्यता होनी चाहिए। आधुनिक सभ्यता के इस युग में व्यक्ति जानवर बनता हुआ प्रतीत होता है। व्यक्ति को अपने जीवन को खुले ढंग से जीना चाहिए। कई लोग अपने जीवन में चीजों को लुका-छिपाकर रखते हैं। ऐसा करना गलत होता है। व्यक्ति को दूसरों के बारे में सोचना चाहिए। उसे परोपकार करना चाहिए। यही जीवन की सार्थकता होती है। व्यक्ति को स्वयं बहस, चर्चा, परिचर्चा करनी चाहिए। इससे उसके जीवन में शांति बनी रहती है। आधुनिक सभ्यता के इस युग में व्यक्ति चीजों का गुलाम बन गया है। यह अच्छी बात नहीं है। चोजें व्यक्ति की जरूरतें पूरी करने के लिए होती है। यह तथ्य मनुष्य को समझना चाहिए।
सँकरी – पतली, कम चौड़ी, तंग
गोजर – कनखजूरा
लकड़बग्घा – भेड़िये की जाति का एक पशु
चलायमान – चलता हुआ
संभाषणीय
‘कंप्यूटर ज्ञान का महासागर’ विषय पर तर्कपूर्ण चर्चा कीजिए ।
उत्तर:
कंप्यूटर ज्ञान का महासागर
कंप्यूटर आधुनिक तकनीक की महान खोज है। आज कंप्यूटर के बिना किसी भी क्षेत्र में प्रगति करना संभव नहीं है। यह एक ऐसी मशीन है, जो अपनी मेमरी में ढेर सारा डाटा सुरक्षित रखता है। जीवन के हर एक क्षेत्र में कंप्यूटर ने प्रवेश कर लिया है। कार्यालय, बैंक, शिक्षण संस्था, उद्योग क्षेत्र आदि में कंप्यूटर का प्रवेश हुआ है। कंप्यूटर विज्ञान का एक अनोखा उपहार है। कोई भी जानकारी, पढ़ाई से संबंधित सामग्री, प्रोजेक्ट, वीडियो, गाने, खेल आदि से संबंधित जानकारी कंप्यूटर से प्राप्त होती है। कंप्यूटर ज्ञान का महासागर है। विश्व की सारी इंडस्ट्रीज कंप्यूटर पर निर्भर हो गई है। इसने मानव जीवन को आसान बना दिया है। इसकी मदद से गणना (कैलकुलेशन) और विश्लेषण (एनालिसिस) किए जाते हैं। कंप्यूटर की मदद से प्रोग्रामिंग तैयार की जाती है। इससे मनुष्य का काम आसान हो जाता है और काफी समय भी बच जाता है। कम्युनिकेशन से लेकर सैटेलाइट टेक्नोलॉजी तक कंप्यूटर काफी मददगार साबित हुआ है। अंतरिक्ष अनुसंधान, इंजीनियरिंग और चिकित्सा के क्षेत्र में भी कंप्यूटर कार्यरत है। इन क्षेत्रों में निर्माण होने वाली जटिलतम समस्याओं को कंप्यूटर चुटकियों में हल करने की क्षमता रखता है। जानकारियों का भंडार कंप्यूटर में सुरक्षित रखा जाता है।
कंप्यूटर ने गूगल के माध्यम से अपने ज्ञान को अमर्यादित रूप से फैलाया है। गूगल के द्वारा हमें किसी भी प्रकार की जानकारी प्राप्त होती है। हमें कहीं पर भी जाने की जरूरत नहीं है। सिर्फ कंप्यूटर के सामने बैठकर हम जो चाहे वह जानकारी हासिल कर सकते हैं। इस प्रकार कंप्यूटर हमें ज्ञान के प्रति सतर्क व सचेत रखता है। वह व्यक्ति के ज्ञान भंडार में वृद्धि करता है। कंप्यूटर के द्वारा व्यक्ति के शरीर के अंदर स्थित रोगों का भी पता लगाया जाता है। यह रोग का निदान करने में डॉक्टरों की मदद भी करता है।
अंतः स्पष्ट है कि कंप्यूटर ज्ञान का महासागर सिद्ध हो रहा है।
लेखनीय
महानगरीय/ग्रामीण दिनचर्या के लाभ तथा हानि के बारे में अपने अनुभव के आधार पर लिखिए ।
उत्तर: महानगर अर्थात ऊँची-ऊँची इमारतें, बड़े-बड़े कारखानों, दुकानों तथा दौड़ते वाहनों से पूरित घनी आबादी वाला शहर महानगरीय जीवन मनुष्य के लिए किसी वरदान से कम नहीं है, परंतु दूसरी ओर यह त्रासदी से भी भरा हुआ है।
महानगरीय जीवन सुबह से लेकर रात तक चलता ही रहता है। वह कभी थकता नहीं, आराम नहीं करता। वह जीवन भौतिक सुख व अन्य सुविधाओं की चकाचौंध से भरा हुआ है। यातायात के साधन इतने समुन्नत हो गए हैं कि व्यक्ति एक जगह से दूसरी जगह पर बड़ी आसानी से आ-जा सकता है। महानगरों में खाद्यान्न की कमी नहीं होती है। कोई भी महानगर में रहने के लिए आए, उसे नौकरी जरूर मिल जाती है। खेलकूद, मनोरंजन तथा व्यवसाय आदि के लिए यहाँ पर सभी संसाधन उपलब्ध होते हैं। यहाँ पर व्यक्ति में छिपी प्रतिभा को विकसित करने हेतु भी सकारात्मक वातावरण होता है। यहाँ पर कुशल चिकित्सक एवं चिकित्सा के उच्च साधन उपलब्ध होते हैं। पठन-पाठन की दृष्टि से भी महानगरों में बहुत ही अच्छा वातावरण होता है।
महानगरों की आबादी अधिक होने के कारण वहाँ पर घर, रोटी व मकान की समस्या बढ़ती दिखाई देती है। महानगरों में जमीन के दाम आसमान को छू रहे हैं। यहाँ पर रहने वाले लोगों का जीवन आपाधापी के कारण इतना व्यस्त हो गया है कि उन्हें साँस लेने की भी फुरसत नहीं है। प्रदूषण ने महानगर में रहने वाले लोगों का जीवन नरक-सा बना दिया है। सतत गाड़ियों के यातायात से महानगर में रहने वाले लोग त्रस्त हो गए हैं। महानगर में कई बीमारियों ने अपना डेरा जमाया है। सामाजिक समस्याएँ जैसे लूटमार, लड़ाई-झगड़ा, भ्रष्टाचार आदि का बोलबाला समाज में दिखाई दे रहा है।
पठनीय
शरद जोशी लिखित ‘अतिथि तुम कब जाओगे,’ हास्य व्यंग्य कहानी पढ़िए तथा सुनाइए ।
उत्तर: छात्रों को यह स्वयं करना चाहिए।
श्रवणीय
‘घर की बालकनी/आँगन में सेंद्रिय पद्धति से पौधे कैसे उगाए जाते हैं’, इसके बारे में आकाशवाणी/दूरदर्शन पर सुनिए और सुनाइए ।
उत्तर: छात्रों को यह स्वयं करना चाहिए।
स्वाध्याय
सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए –
(१) प्रवाह तालिका पूर्ण कीजिए :
उत्तर:
(२) कृति पूर्ण कीजिए :
१. गली से यह नहीं दिखता –
उत्तर:
(अ) आसमान
(आ) घोंसले बनाती चिड़िया
२. लेखक ऐसी जिंदगी बिताना नहीं चाहता –
उत्तर:
(अ) चीजों को लुका-छिपाकर
(आ) बातों और व्यवहार को रचा-बसाकर
(३) आकृति में लिखिए :
उत्तर:
(४)
उत्तर:
(५) लिखिए:
१.
उत्तर:
२.
उत्तर:
अभिव्यक्ति
‘जो हम शौक से करना चाहते हैं, उसके लिए रास्ते निकाल लेते हैं,’ इसका सोदाहरण अर्थ लिखिए ।
उत्तर: प्रत्येक व्यक्ति के कुछ शौक होते हैं। शौक हमें आनंद देते हैं। शौकीन होने से हमें ऊब नहीं होती। इससे काम के प्रति हमारा उत्साह बना रहता है। व्यक्ति को जिस चीज का शौक होता है, उसके लिए वह समय निकाल लेता है। चाहे व्यक्ति कितना भी व्यस्त क्यों न रहें, फिर भी वह अपने शौक की खातिर समय निकाल ही लेता है। जिसे पुस्तकें पढ़ने का शौक होता है, वह वक्त निकालकर पुस्तकालय में जाकर किताबें पढ़ता है या फिर हर महीने नई-नई किताबें खरीदता है। कहते भी हैं जहाँ चाह, वहाँ राह होती है। बच्चों को खेलने का शौक होता है, अतः वह अपनी पढ़ाई पूरी करके दिन में दो तीन घंटे का समय खेल के लिए जैसे-तैसे निकाल लेते हैं। इस प्रकार जो हम शौक से करना चाहते हैं, उसके लिए मार्ग निकाल लेते हैं।
भाषा बिंदु
(१) निम्नलिखित संधि विच्छेद की संधि कीजिए और भेद लिखिए :
उत्तर:
(२) निम्नलिखित शब्दों का संधि विच्छेद कीजिए और भेद लिखिए :
उत्तर:
(३) निम्नलिखित आकृति में दिए गए शब्दों का विच्छेद कीजिए और संधि का भेद लिखिए :
उत्तर:
(४) पाठों में आए संधि शब्द छाँटकर उनका विच्छेद कीजिए और संधि का भेद लिखिए ।
उत्तर:
(१) भावार्थ : भाव + अर्थ = स्वर संधि
(२) सारांश : सार + अंश = स्वर संधि
(३) सूर्यास्त : सूर्य + अस्त = स्वर संधि
(४) सूर्योदय : सूर्य उदय = स्वर संधि
(५) विद्यार्थी : विद्या + अर्थी = स्वर संधि
(६) महाशय : महा + आशय = स्वर संधि
(७) परोपकार : पर + उपकार = स्वर संधि
(८) पर्यावरण : परि + आवरण = स्वर संधि
(९) नयन : ने + अन = स्वर संधि
(१०) पवित्र : पो + इत्र = स्वर संधि
(११) सन्मार्ग : सत् + मार्ग = व्यजंन संधि
(१२) तल्लीन : तत् + लीन = व्यंजन संधि
(१३) संबंध : सम् + बंध = व्यंजन संधि
(१४) संपूर्ण सम् + पूर्ण = व्यजंन संधि
(१५) संवाद : सम् + वाद = व्यंजन संधि
(१६) संरक्षण : सम् + रक्षण = व्यंजन संधि
(१७) दुर्बल : दु: + बल = विसर्ग संधि
(१८) निराशा : नि: + आशा = विसर्ग संधि
(१९) प्रात:काल : प्रात: काल = विसर्ग संधि
अपठित गद्यांश
निम्नलिखित परिच्छेद पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए :
हर किसी को आत्मरक्षा करनी होगी, हर किसी को अपना कर्तव्य करना होगा । मैं किसी की सहायता की प्रत्याशा नहीं करता। मैं किसी का भी प्रत्याह नहीं करता । इस दुनिया से मदद की प्रार्थना करने का मुझे l कोई अधिकार नहीं है । अतीत में जिन लोगों ने मेरी मदद की है या भविष्य में भी जो लोग मेरी मदद करेंगे, मेरे प्रति उन सबकी करुणा मौजूद है, इसका दावा कभी नहीं किया जा सकता। इसीलिए मैं सभी लोगों के प्रति चिर कृतज्ञ हूँ। तुम्हारी परिस्थिति इतनी बुरी देखकर मैं बेहद चिंतित हूँ। लेकिन यह जान लो कि-‘तुमसे भी ज्यादा दुखी लोग इस संसार में हैं । मैं तुमसे भी ज्यादा बुरी परिस्थिति में हूँ । इंग्लैंड में सब कुछ के लिए मुझे अपनी ही जेब से खर्चकरना पड़ता है । आमदनी कुछ भी नहीं है । लंदन में एक कमरे का किराया हर सप्ताह के लिए तीन पाउंड होता है । ऊपर से अन्य कई खर्चहैं । अपनी तकलीफों के लिए मैं किससे शिकायत करूँ ? यह मेरा अपना कर्मफल है, मुझे ही भुगतना होगा ।’
(विवेकानंद की आत्मकथा से)
(१) कृति पूर्ण कीजिए :
१.
उत्तर:
२.
उत्तर:
(२) उत्तर लिखिए :
१. परिच्छेद में उल्लिखित देश –
उत्तर: इंग्लैंड
२. हर किसी को करना होगा –
उत्तर: अपना कर्तव्य
३. लेखक की तकलीफें –
उत्तर: सब कुछ के लिए उन्हें अपनी जेब से खर्च करना पड़ता है और उनकी आमदनी कम है।
४. हर किसी को करनी होगी –
उत्तर: आत्मरक्षा
(३) निर्देशानुसार हल कीजिए :
(अ) निम्नलिखित अर्थ से मेल खाने वाला शब्द उपर्युक्त परिच्छेद से ढूँढ़कर लिखिए :
१. स्वयं की रक्षा करना –
उत्तर: कृतज्ञ
२. दूसरों के उपकारों को मानने वाला –
उत्तर: कृतज्ञ
(ब) लिंग पहचानकर लिखिए :
१. जेब
उत्तर: स्त्रीलिंग
२. दावा
उत्तर: पुल्लिंग
३. साहित्य
उत्तर: पुल्लिंग
४. सेवा
उत्तर: स्त्रीलिंग
(४) ‘कृतज्ञता’ के संबंध में अपने विचार लिखिए ।
उत्तर: ‘कृतज्ञता’ का अर्थ है कृतज्ञ होने का भाव। यह एक महान गुण है। यह मनुष्य का एक ऐसा आभूषण है, जिसे धारण करने से
हमारा भी भला होता है और दूसरों को भी प्रेरणा मिलती है। जब कोई व्यक्ति हमारे लिए कुछ करता है, तो उसके प्रति हमें कृतज्ञ होना चाहिए। ईश्वर ने हमें सब कुछ दे दिया है, अतः हमें उसके प्रति कृतज्ञ होना चाहिए। हम अपने प्रति कभी भी और किसी भी रूप में की गई सहायता के लिए आभार प्रकट करते हैं और कहते हैं कि ‘हम आपके प्रति कृतज्ञ हैं और इसके बदले में जब भी अवसर आएगा, अवश्य ही सेवा करेंगे।’ इसलिए कहा गया है कि ‘कृतज्ञता मनुष्य की अनमोल निधि है।’
लूटमार, लड़ाई-झगड़ा, भ्रष्टाचार आदि का बोलबाला समाज में दिखाई दे रहा है।