पाठ २ – बसंती हवा
मैं बसंती हवा हूँ। सब लोग सुनो में बड़ी अनोखी हवा हूँ। मैं मस्तमौला हूँ। मुझे किसी भी प्रकार की कोई चिंता नहीं है, न ही मुझे किसी का डर है। मैं एक अदभुत यात्री हूँ जहाँ मेरा जाने का मन होता है, में उपर चली जाती हूँ।
मैं महुए के पेड़ पर जा चढ़ी और मैंने उसके पत्तों को खूब हिलाया। पत्तों से थप थप की आवाज आई में धम्म से नीचे गिरी। फिर मैं आम के पेड़ पर चढ़ी। उसे खूब झकझोरा और उसके कान में ‘कू’ कहा और वहाँ से मैं भाग चली। उसके बाद में गेहूँ के खेतों में पहुँची। वहाँ गेहूँ की बालियों के बीच में बहुत देर तक लहराती रही। मैं बसंती हवा है।
मैं पहर दो पहर अनेक पहर तक इसी में रही थी। मैंने देखा, पास ही अलसी के पौधे खड़े हैं। उनकी फुनगियों पर गोल-गोल फल लगे हैं, जो कलसी जैसे लग रहे हैं। मुझे मस्ती सूझी। मैंने अलसी के पौधों को जोर-जोर से हिलाया, झकझोरा पर एक भी फल नहीं गिरा। अपनी इस हार से निराश होकर मैंने सरसों के खेत में जरा भी मस्ती नहीं की। मैंने सरसों के पौधों को बिलकुल नहीं हिलाया झुलाया।
नए शब्द
बावली – सीधी-सी, अपनी धुन में
मस्तमौला – मनमौजी
फिकर – चिंता
महुआ – एक प्रकार का वृक्ष
झकोरा – झोंका
पहर – प्रहर
अलसी, सरसों – तिलहन के प्रकार
कलसी – गगरी
स्वयं अध्ययन
(१) नीचे दिए गए चित्रों की सहायता से प्राकृतिक सुंदरता दर्शाने वाला एक चित्र बनाकर उसमें रंग भरो ।
उत्तर: छात्रों को यह स्वयं करना चाहिए।
(२) अपने चित्र के बारे में बोलो ।
उत्तर: छात्रों को यह स्वयं करना चाहिए।
जरा सोचो ………. बताओ
यदि प्रकृति में सुंदर – सुंदर रंग नहीं होते तो ……….
उत्तर: यदि प्रकृति में सुंदर-सुंदर रंग नहीं होते, तो यह दुनिया इतनी मनमोहक न होती बहुत ऊबाऊ होती। यह दूर-दूर तक फैला नीला आकाश, हरे भरे जंगल, तालाबों में खिले कमल, डालियों पर लहराते घूमते विविध रंगों के मनभावन पुष्प, उन पर मँडराती रंग-बिरंगी तितलियाँ ऐसे दृश्य हैं, जिन्हें देखकर कोई भी मनुष्य कितनी भी चिंता में डूबा हुआ क्यों न हो, कुछ समय के लिए वह सब कुछ भूल जाता है।
भाषा की ओर
दिए गए शब्दों के लययुक्त शब्द लिखो ।
उत्तर:
खोजबीन
ॠतुओं के नाम बताते हुए उनके परिवर्तन की जानकारी प्राप्त कराे और लिखो ।
उत्तर: हमारे देश में ६ ऋतुएँ होती हैं ग्रीष्म ऋतु, वर्षा ऋतु, शरद ऋतु, हेमंत ऋतु, शिशिर ऋतु एवं वसंत ऋतु। उनका क्रम इस प्रकार है;
(१) ग्रीष्म
ग्रीष्म ऋतु में दिन बड़े व रातें छोटी होती हैं। गर्मी के कारण वायुमंडल के हानिकारक तत्त्व समाप्त हो जाते हैं आम, जामुन, खरबूजे, तरबूज, लीची जैसे रसीले फल इसी ऋतु की देन हैं।
(२) वर्षा
ग्रीष्म के बाद वर्षा का आगमन होता है। सभी प्राणियों को गर्मी से राहत मिलती है। नदी-नाले पानी से भर जाते हैं धान, ज्वार, बाजरा, मक्का आदि इसी ऋतु में बोए जाते हैं।
(३) शरद
वर्षा के बाद शरद ऋतु आती है न ग्रीष्म की गर्मी होती है, न ही वर्षा का कीचड़-पानी यह ऋतु सुखद होती है। विजयादशमी का त्योहार इसी ऋतु में मनाया जाता है।
(४) हेमंत
इस ऋतु में हल्की सर्दी पड़ने लगती है। दिन छोटे ओर रातें लंबी होने लगती हैं। दीपावली का त्योहार इसी ऋतु में आता है। धान की फसल भी इसी समय तैयार होती है।
(५) शिशिर
हेमंत के बाद आती है शिशिर ऋतु इस समय सबसे अधिक सर्दी होती है। दिन भी सबसे छोटे हो जाते हैं। लोग शरीर को गर्मी पहुँचाने वाले मूँगफली और तिल जैसे खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं।
(६) वसंत
सर्दी के बाद ऋतुराज वसंत का आगमन होता है। इस ऋतु में प्रकृति में चारों ओर हरियाली हो जाती है और विभिन्न रंग-बिरंगे फूल दिखाई देते हैं। वसंत पंचमी और होली इसी ऋतु में मनाई जाती है।
सुनो तो जरा
त्योहार संबंधी कोई एक गीत सुनो और दोहराओ ।
उत्तर:
दिवाली
रोशनी का त्यौहार दिवाली
दीपो का श्रृंगार दिवाली
खुशियों की बहार दिवाली
सबके मन में है, दिवाली
चौदह वर्ष की किया वनवास
लौटकर आए घर को श्रीराम
अयोध्या के मन को भा गए राम.
घर सजे सजे सब आँगन
सज गए सब बाजार
पटाके, फुलझड़िया और बम्ब
सबके मन को करता तंग
एक के मिलता एक बेसंग
पहन-पहनकर नए कपडे सब
आए त्यौहार मनाने को
देखो आई है, दिवाली ये
गीत सभी को गाने को.
बताओ तो सही
‘शालेय स्वच्छता अभियान’ में तुम्हारा सहयोग बताओ ।
उत्तर: हमारे विद्यालय में स्वच्छता अभियान का आयोजन किया गया। प्रत्येक कक्षा को एक-एक सप्ताह स्वच्छता का काम सँभालना था। मैं अपनी कक्षा का मॉनीटर था। मेरी जिम्मेदारी दूसरों से ज्यादा का थी। मैंने अपनी कक्षा के कुल चालीस विद्यार्थियों की पाँच टोलियाँ बनाईं। प्रत्येक टोली को एक-एक हिस्से की स्वच्छता की देख-रेख का काम सौंपा। इसमें विद्यालय के चारों ओर का बगीचा, खेल मैदान, शौचालय, पानी पीने का स्थान तथा प्रत्येक कक्षा के सामने के बरामदे थे। मैंने प्राचार्या जी से विद्यालय की छुट्टी के बाद अपनी कक्षा के लिए एक कालांश बढ़ाने की अनुमति ले ली, ताकि सभी विद्यार्थी स्वच्छता का काम अच्छी तरह कर सकें। मैं पूरा कालांश प्रत्येक टोली के पास जाकर उसके काम का निरीक्षण करता था। प्राचार्या जी ने एक सप्ताह तक हमारा काम देखा। उन्होंने प्रार्थना सभा में हमारी प्रशंसा की।
वाचन जगत से
कविवर सुमित्रानंदन पंत की कविता का मुखर वाचन करो ।
उत्तर:
स्त्री
– सुमित्रानंदन पंत
यदि स्वर्ग कहीं है पृथ्वी पर, तो वह नारी उर के भीतर,
दल पर दल खोल हृदय के अस्तर
जब बिठलाती प्रसन्न होकर
वह अमर प्रणय के शतदल पर।
मादकता जग में कहीं अगर, वह नारी अधरों में सुखकर,
क्षण में प्राणों की पीड़ा हर,
नव जीवन का दे सकती वर
वह अधरों पर धर मदिराधर।
यदि कहीं नरक है इस भू पर, तो वह भी नारी के अन्दर,
वासनावर्त में डाल प्रखर
वह अंध गर्त में चिर दुस्तर
नर को ढकेल सकती सत्वर।
मेरी कलम से
सप्ताह में एक दिन किसी कविता का सुलेखन करो ।
उत्तर: छात्रों को यह स्वयं करना चाहिए।
रिक्त स्थानों की पूर्ति करो :
१. नहीं कुछ _____ है।
उत्तर: फिकर
२. गिरी _____ से फिर, चढ़ी आम ऊपर ।
उत्तर: धम्म
३. वहाँ, _____ में, लहर खूब मारी ।
उत्तर: गेहूओं
४. हिलाया-झुलाया गिरी पर न _____
उत्तर: कलसी
सदैव ध्यान में रखो
प्लास्टिक, थर्माकोल आदि प्रदूषण बढ़ाने वालेघटकों का उपयोग हानिकारक है।
विचार मंथन
।। हवा प्रकृति का उपहार, यही है जीवन का आधार ।।
अध्ययन कौशल
वायुमंडलीय स्तर दर्शाने वाली आकृति बनाओ ।
उत्तर:
पहचानो हमें
उत्तर: